The 5-Second Trick For Read Hindi Poems

कवि तो कवि होते है। ये ऐसे बुद्ध जिवी होते है व्यंग, कविताएं, तंज कसने में, ये बड़े अनुभवी होते है। कागज वस्त्र इनके, कलम आभूषण समाज ‍ ‍ ‍ में साक्षरता की छवि होते है। मै कवि नहीं, और क्या लिखू, कबीर, तुलसीदास, बच्चन, निराला, संसार में कभी कभी होते है। कवि तो कवि होते है ।।

चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला,

वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,

पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,

नदियों के बहाव को रोका और उन पर बाँध बना डाले

साहित्य विमर्श प्रकाशन, वह मंच है, जो भाषा-विशेष, विधा-विशेष, क्षेत्र-विशेष, लेखक-विशेष आदि बंधनो से पाठकों, लेखकों एवं प्रकाशकों को आजादी प्रदान करता है। हम प्रकाशन व्यवसाय के तीन स्तंभ – पाठक, लेखक एवं प्रकाशक को एक साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पाठकों को कम से कम दर में उच्चकोटि की पठन-सामग्री मुहैया कराना, लेखकों के मन के भाव व उनकी कलम की कार्यकुशलता को उचित स्थान देना एवं प्रकाशकों और उनकी पुस्तकों को अधिकाधिक पाठकों तक पहुंचाना।

सच न बोलना(कवी नागार्जुन /कविता संग्रह) मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!

सबक बड़ा तुम सीख चुके यदि सीखा रहना मतवाला,

माता के श्वेत वस्त्र यही तो कामना करें

मेरे टूटे दिल का है बस एक खिलौना मधुशाला।।७७।

भर लो, भर लो, भर लो इसमें, यौवन मधुरस की हाला,

पौधे आज बने हैं साकी ले ले फूलों का प्याला,

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ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,

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